कोजागर व्रत परिचय
आश्विन मास की पूर्णिमा को भगवती महालक्ष्मी रात्रि में यह देखने के लिए घूमती हैं, कि कौन जाग रहा है और कौन सो रहा है। जो जागते हैं उन्हें धन का वरदान देती हैं लक्ष्मी जी। लक्ष्मी जी के ‘को जागर्ति’ कहने के कारण इसका इस व्रत का नाम कोजागर पड़ा है।
“निशीथे वरदा लक्ष्मीः को जागर्तिति भाषिणी।
जगति भ्रमते तस्यां लोकचेष्टा अवलोकिनी।।
तस्मै वित्तं प्रयच्छामि यो जागर्ति महीतले”।।
- इस व्रत में निशिथ व्यापिनी पूर्णिमा ग्रहण करनी चाहिए और ऐरावत पर आरूढ़ इन्द्र और महालक्ष्मी का उपवास और पूजन करना चाहिए।
- रात्रि के समय घी के दीपक, फूल और गंध आदि से पूजा करके एक सौ एक (101) या यथाशक्ति अधिक दीपक हो प्रज्वलित कर देव मंदिरों, बाग-बगीचों, तुलसी, अशवत्थ वृक्षों के नीचे और घरों में रखना चाहिए।
- प्रातः काल होने पर स्नानादि करके माता लक्ष्मी और इंद्र का पूजन करके परिवार जनों सहित यथा संभव लोगों को घी शक्कर मिश्रित खीर का प्रसाद कराना चाहिए।
- प्रसाद के भंडारे के बाद गरीबों और जरुरतमंदों को यथाशक्ति दान से अनंत फल की प्राप्ति होती है।
- इस दिन श्री सूक्त लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करके कमलगट्टा, बेल, खीर या पंचमेवा द्वारा दशांश हवन करना चाहिए।
कोजागर व्रत कथा
मगध देश में वलित नाम का एक अया चक्रवर्ती ब्राह्मण था। उसकी पत्नी चंडी अति कर्कशा स्त्री थी। वह अपने पति को रोज ताने देती और अपमान करती थी की मैं किसी दरिद्र के घर आ गई हूं।
वह सभी लोगों से अपने पति की निंदा किया करती थी। पति के विपरीत आचरण करना ही उसने उसका धर्म बना लिया था। वह पापिनी रोज पति को राजा के यहां से चोरी करके धन लाने के लिये उकसाया करती थी।
एक बार श्राद्ध के समय उसने पिंडों को उठाकर कुएं में फेंक दिया। इससे अत्यंत दुखी होकर ब्राह्मण घर त्याग कर जंगल में चला गया। जहां उसे नागकन्याएं मिली।
उस दिन आश्विन मास की पूर्णिमा थी। नाग कन्याओं ने ब्राह्मण को रात्रि जागरण करके लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने वाला ‘कोजागर व्रत’ करने को कहा। नागकन्याओं के कथनानुसार, ब्राह्मण ने व्रत किया।
कोजागर व्रत के प्रभाव से उस ब्राह्मण के पास अतुल धन-संपत्ति हो गई। माता लक्ष्मी की कृपा से उसे उसकी पत्नी चंडी को भी सद्बुद्धि आ गई उसका मन निर्मल हो गया। देवी लक्ष्मी के आशीर्वाद से वे दंपत्ति सुखी पूर्वक रहने लगे।
कोजागर व्रत पूजन विधि और फल
- इस व्रत को करने वाला कभी दरिद्र या दुःखी नहीं होता है।
- इस व्रत को करने वाले भक्तों को धन, आरोग्य के साथ हर जन्म में पुत्र- पौत्रादि, संपत्ति का सुख प्राप्त होता है।
कोजागर व्रत को क्या करें और क्या नहीं करें?
- इस दिन हाथी पर विराजमान देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
- इस दिन महालक्ष्मी मंत्र जप, श्री सूक्त पाठ, भजन-कीर्तन सहित रात्रि जागरण लाभदायक होता है।
- माता लक्ष्मी को खीर का प्रसाद का भोग लगाने से देवी प्रसन्न होती हैं।
- कोजागर व्रत की रात्रि में नारियल पानी पीकर पासों के खेल को खेलना भी शुभ माना गया है।
- कोजागर पूजा के दिन किसी भी काम-व्यसन, मांस-मदिरा से दूर रहें।
प्रज्ञा सिंह
जय हिंद